आसमान में बादलों का आज डेरा है
मेरे दिल में उनके अक्स का बसेरा है
उनके हुस्न के चर्चे करते हमारा दम निकल जाए तो क्या घम है
उनकी शान में तो जन्नत और खुदा भी कम है
फ़िर क्यों उनकी याद में आज यह आँखें नम् है
गीतों के बोल क्यों गूंजते नही , सारे साज़ आज सम् है
उनकी याद में आज हम शेहेर शेहेर भटक गए
मगर वो बेवफा हमारी मोहब्बत से ही पलट गए
Dedicated to all the people who are in love !!!
Yours Truly
No comments:
Post a Comment